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पृष्ठ:साम्राज्यवाद, पूंजीवाद की चरम अवस्था.djvu/१९१

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व्ला॰ इ॰ लेनिन, 'मार्क्सवाद के ऐतिहासिक विकास की कुछ विशेषतायें', पृष्ठ संख्या ७८।

इस संग्रह में उपरोक्त लेख के अतिरिक्त एक अन्य लेख : 'मार्क्सवाद के तीन स्रोत और तीन निर्माण-तन्तु' भी शामिल है।

इन लेखों में मार्क्सवाद के मूल तत्त्वों (दर्शनशास्त्र, आर्थिक सिद्धान्त तथा वैज्ञानिक समाजवाद) तथा मार्क्सवाद के विकास के इतिहास की बड़ी स्पष्टता तथा संक्षेप में व्याख्या की गई है। मार्क्सवाद की मूल धारणाएं क्या हैं, तथा उसकी सर्व-विजयी शक्ति का स्रोत क्या है—इनसे परिचय प्राप्त करने के लिए यह पुस्तक बड़ी उपयोगी है। इन लेखों में लेनिन ने इन प्रश्नों का भी समाधान किया है कि सिद्धान्त तथा व्यवहार के आपसी सम्बन्ध क्या होने चाहिए तथा मज़दूर वर्ग की पार्टी की नीति के वैज्ञानिक आधार क्या हैं।

आकार १३४२० सेंटीमीटर।
मूल्य १२ न. पै.

 

व्ला॰ इ॰ लेनिन, 'राष्ट्रों का आत्म-निर्णय का अधिकार', पृष्ठ संख्या १०३।

इस पुस्तक में लेनिन ने रूस के मेन्शेवीक-विसर्जनवादियों, पोलैंड तथा उक्रइन के राष्ट्रवादियों, बुन्दवादियों तथा अन्य अवसरवादियों की कड़ी आलोचना की है। इन लोगों ने राष्ट्रीय प्रश्न को सुलझाने के मार्क्सवादी प्रोग्राम का, और विशेषकर उसके बुनियादी सिद्धान्त–राष्ट्रों के आत्म-निर्णय के अधिकार–का विरोध किया था।