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पृष्ठ:साम्राज्यवाद, पूंजीवाद की चरम अवस्था.djvu/९५

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प्रख्यात ए॰ ई॰ जी॰ (जेनरल एलेक्ट्रिक कम्पनी) के क़ब्ज़े में, जो इस प्रकार बढ़कर इतनी बड़ी हुई है, १७५ से २०० तक कम्पनियां ("होल्डिंग" पद्धति द्वारा), और कुल मिलाकर लगभग १,५०,००,००,००० मार्क की पूंजी है। अकेले विदेशों में ही दस से ज़्यादा देशों में इसकी अपनी चौंतीस एजेंसियां हैं, जिनमें से बारह ज्वाइंट-स्टाक कम्पनियां हैं। बहुत पहले १९०४ में ही, जर्मनी के बिजली-उद्योग द्वारा विदेशों में लगायी गयी पूंजी का अनुमान २३,३०,००,००० था। उसमें से ६,२०,००,००० मार्क की पूंजी रूस में लगी हुई थी। यह तो कहने की आवश्यकता नहीं कि ए॰ ई॰ जी॰ एक बहुत बड़ा "सम्मिलित कारखाना" है–अकेले उसकी उन कम्पनियों की संख्या जो कारखानों में माल तैयार करती हैं सोलह से कम नहीं है–जो बिजली के मोटे-मोटे तारों और इंसुलेटरों से लेकर मोटरें और वायुयान तक अत्यंत विविध प्रकार की चीज़ें तैयार करता है।

परन्तु यूरोप में जो संकेंद्रण हुआ वह भी अमरीका की इस संकेंद्रण की प्रक्रिया का ही एक अभिन्न अंग था; यह संकेंद्रण इस प्रकार हुआ :

जेनरल एलेक्ट्रिक कम्पनी
संयुक्त राज्य अमरीका : टामसन-हाउस्टन कम्पनी यूरोप में अपनी एक फ़र्म स्थापित करती है एडीसन कम्पनी यूरोप में फ़्रांसीसी एडीसन कम्पनी स्थापित करती है जो अपने पेटेन्ट निम्न जर्मन फ़र्म को बेच देती है
जर्मनी : यूनियन एलेक्ट्रिक कम्पनी जेनरल एलेक्ट्रिक कम्पनी (ए॰ ई॰ जी॰)
जेनरल एलेक्ट्रिक कम्पनी (ए॰ ई॰ जी॰)

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