। ११६ । ना संसार । सातये दिन आइ जदुपति कियो आप उधार ॥दियौ (८)चषदै कही पर लड़ाई में मारा गया और मुईजुद्दीन दमयक में एक खोखर के हाथ से मारा गया कि जो इसी काम के लिये उतारू हो रहा था, और ऐसे ही वृत्तान्त का अवलंब तबकात अकबरी और फरिश्ता के ग्रंथकर्ताओं ने किया है, तथापि हिंदू भाटों के मुख जुबानी वर्णन से, कि जो प्रत्येक नामांकित साखे की ख्यातों के भंडार हैं, और जो पीढ़ियों तक कंठस्थ वृत्तान्त एक दूसरे को उपदेश करते आये हैं, यह वर्णन किया गया है कि राव पिथोरा के लड़ाई में कैद हो जाने और गज़नी को ले गये पीछे एक चंद जिसे कोई चांदा कर के भी लिखते हैं कि जो राय पिथोरा का स्तुतिपाठक और विश्वासी सहचर था और कोई २ ग्रंथकर्ता उसे राय पिथोरा का कविराज करके भी लिखते हैं, वह अपने आपदा- ग्रस्त स्वामी की खबर लेने को गजनी पहुंचा वह अपने अच्छे प्रयत्नों के बल से प्रबंध कर सुलतान मुईजुद्दीन की सेवा में प्राप्त हुआ और बंदीग्रह में राय पिथोरा के साथ बातचीत करने में भी सफल हुआ। यह दोनों किसी एक युक्ति पर सम्मत हुवे और एक दिन चंदा ने अपने छलबल के द्वारा सुलतान के मन में राय पिथोरा की वाण विद्या में परम कुशलता देखने की नितान्त इच्छा उत्पन्न कियी और उस को चंदा में इतनी सराही कि सुलतान का मन उसे देखे बिना न रहने लगा निदान बंधुआ राजा सन्मुख लाया गया और उस से उस की वाण विद्या की परम कुशलता दिखाने की विनती कियी गई। उस के हाथ में एक धनुष और बाण दिये गये। उस में अपनी खीकृत युक्ति के अनुसार जो निशाना सुलतान ने नियत कराया था उसे छोड़ कर खास सुलतान के ही बाण मारा कि वह वहीं मर गया और सुलतान के पासवालों ने राय पिथोरा और चंदा को काट कर टुकडे २ कर डाले। - जम्मू की तवारीख वाला लिखता है कि राय पिथोरा अंधा कर ( देखो टिप्पण १ पृष्ठ ४६६ ) दिया गया था और जब वह बंदीग्रह से बाहर लाया गया और उस के निज धनुष और बाण उसे दिये गये । यद्यपि. वह अंधा था तथापि उस ने बाण चढ़ा कर और साध कर सुलतान के शब्द के अनुसंधान और चंदा की सूचना के अनुसार सीधा ऐसा मारा कि वह सुलतान के जा कर लगा। बाकी का वृत्तान्त तदनुसार ही है।
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