जुगुल कवि सं० १७५५ इन के बनाए हुए पद अति अनूठे महा ललित हैं । (२५) कविंद (उदयनाथत्रिवेदी) बनपुरा निवासी कवि कालिदास जू के पुत्र सं० १८०४ ये कवि अपने पिता के समान महान कवीश्वर हो गुजरे हैं प्रथम राजा हिम्मति सिंह बंधलगोत्री अमेठी महाराज के इहां बहुत दिन तक रहे औ कविता में अपना नाम उदयनाथ वर्णन करते रहे जब राजा के नाम से रसचंद्रोदय नाम ग्रंथ बनाया तब राजा ने कबिंद पदवी दिया तब से अपना नाम कविंद करि के धरते रहे इस ग्रंथ के चारि नाम हैं रतिविनोद चंद्रिका १ रतिविनोदचंद्रोदय २ रसचंद्रिका ३ रसचंद्रोदय ४ यह ग्रंथ भाषासाहित्य में महा अद्भुत है तेहि पीछे कविंद जी थोरे दिन राजा गुरूदत्तसिंह अमेठी के इहां रहि भगवंत राइ खीची औ गज सिंह महाराजै आमेर औ राव बुद्ध हाड़ा बूंदी वाले के इहां महा मान सनमान के साथ काल बितीत करते रहे और एक कविंद त्रिवेदी बेतीगांव जिले रायबरेली में भी महान् कवि हो गये हैं। ____ कविंद २ सखीसुख ब्राह्मण नरवर बुंदेलखंड निवासी के पुत्र सं० १८५४ इन्होंने रसदीपक नाम ग्रंथ बनाया है। _ कविंद ३ सरस्वती ब्राह्मण काशी निवासी सं० १६२२ ये कविन्दा- चार्य महाराज संस्कृत साहित्य शास्त्र में अपने समय के भामनु थे शाह- जहां बादशाह के हुकुम से भाषा काव्य बनाना प्रारंभ किया औ बाद- शाही आज्ञानुसार कविंद कल्पलता नाम ग्रंथ भाषा में रचा जिस्में बाद- शाह के पुत्र दाराशिकोह औ बेगम साहेब की तारीफ़ में बहुत कवित्त हैं। (२६)गोविंद अटलकवि सं० १६७० इन के कवित्त हजारा में है। गोविंद जी कवि सं १७५० ऐजन् । गोविंददास जू ब्रजवासी सं० १६१५ राग सागरोद्भव में इन की कविता है ए कवि नाभा जी के शिष्य थे। गोविंदकवि सं० १७९८ ए कवीश्वर बड़े नामी कवि हो गए हैं इन का बनाया हुवा करणाभरण ग्रंथ बहुत कठिन औ साहित्य में शिरोमणि है। ___केशवदास सनाढय मिश्र बुंदेलखंडी सं० १६२४ इन का प्राचीन निवास टेहरी था राजा मधुकर साह उडछवाले के इहां आये औ उहां उन का बड़ा सनमान हुवा राजा इंद्रजीतसिंह ने २१ गांव संकल्प दिये तब कुटुंब सहित उड़छे में रहने लगे भाषा काव्य के तौ भाम मम्मट भरता के समान प्रथम आचार्य समुझना चाहिये काहे ते कि काव्य के
पृष्ठ:साहित्यलहरी सटीक.djvu/२०३
दिखावट