पृष्ठ:साहित्यलहरी सटीक.djvu/२२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

[२१] बैठी मंच सुडारी ॥ अति गंभीर बनी पदमापितु सो बुध उदर तिहारो। सूर- दास द्रिष्टांत पाडू पर देखत नंदटु- लागी॥२०॥ ____उक्ति सपी की नाइका से कै हे माननी अबहू भान छोडो प्राननाथ प्रतिपाल करने के हेड हमारी कही मान्य केले या नछन लगावत है। दो दो चार चौथो रोहणी पति पर धर महादेश दिया पारबती पुत्र गणेम कहि अवहू सिधारिये। तीन दो पांच औ शुद म पांच साल एक तेरहो इस्त हे गजाति अजहू भतिवंत सम्हारो। यो एक तीसरो कृतका अंत ककार तेहीन करै कुत दो और ते इतकृत लोको करो या अन्दनी है उप- माल जाकी ऐलोपट अप पर कही बार बैठी है। अति वीर बना है पदमा पितु सनद ले सोइ बुख तिहारो उदर है। विद्यते देपत पाइपर देपत्ती हो नंददुलारो । सामाननी नाइका पूर्ववत लन्छन् । अरु समुद्र उपमान र उपमेश को विष प्रतिबिंब भाबतष्टांत अलंकार है ताकी चौपाई-महा विच प्रतिनिक मानो । तहां हाल अलंकृत जानो। सानिन भजडू हाडोमान। तीन वि दधिरत उतारत राजदल जुत सानतीन बल कार तो संग कोन भल अलिजान । जहा कल लेत नाही प्रान पीपलमान ॥ तति की कील पररति पति बृजन टूजी भान। लगी फिरत पचास तितितन पास झार बर ette