पृष्ठ:साहित्यालाप.djvu/८०

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देशव्यापक भाषा


आपके लेख के साथ कैथी स्वर, व्यज्जन और संयुक्त-वणों का एक नकशा छपा है। वह शायद आप ही की कृति है । उसे हम भी पाठकों के देखने के लिए प्रकाशित करते हैं । (चित्र न० ३ देखिये)

हम पादरीसाहब के प्रस्ताव के खिलाफ़ हैं। आपकी कैथी-वर्णमाला में सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ऊपर पाई नहीं है। इस पाई के न लगाने ही से क्या एक तिहाई समय बच सकता है ? हमारी समझ में यह भ्रम है। पहले तो किसी भाषा में एक से अधिक लिपियों का होना कोई तारीफ़ की बात नहीं। अंगरेजी में एकसे अधिक लिपियों के होने से सीखनेवालों को--विशेष करके विदेशियों को--थोड़ी बहुत कठिनता अवश्य पड़ती है। इस बात को क्या पादरी साहब नहीं मानते ? आपने जो संयुक्त वर्णों की सूची दी है वह अपूर्ण है। पहला ही वर्ण लीजिए। क+थ = क्य (रिक्थ); क+ व =क्क (पक्क); क+स =क्स (अक्स ) को आपने छोड़ ही दिया है। इसी तरह और संयोगी वर्णों के रूप भी आपने नहीं दिये। शायद आपने यह सूची नमूने के तौर पर दी हो ; सब वर्णों का योग, जान बूझ कर, आपने न दिखाया हो। और, कुछ भी हो, एक बात जरूर है कि सब संयोगी वर्णों का रूप निश्चित करने में संयुक्त वर्णों की संख्या बहुत बढ़ जायगी। इन सब वर्णों को लिखने का अभ्यास करना परिश्रम का काम है। जिस समय यह प्रस्ताव हो रहा है कि जिन प्रान्तों में देवनागरी लिपि प्रचलित नहीं उनमें उसका प्रचार