पृष्ठ:साहित्य का इतिहास-दर्शन.djvu/२५

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साहित्य का इतिहास-दर्शन आधुनिक विद्वानों का एक वर्ग किंवदंतियों को कितना महत्त्व देता है, यह आगे यथास्थान निर्दिष्ट है। इन किंवदंतियों में कवि-विशेष के समय आदि की सचना न भी मिले-बहधा नहीं मिलती है--किंतु उसकी प्रतिभा, विशेषताओं और भमगामविनयाय अलोचकों के विचारों का विवरण रोचक रीति से सुरक्षित मिल जाता है । संस्कृत के प्राचीन विद्वानों और कवियों आदि के संबंध में असंख्य किंवदंतियाँ प्रचलित रही हैं, किंतु किमी ने उन्हें सावधानी से संग्रहीत करने की आवश्यकता नहीं समझी है और अब हम उन्हें भूल चले हैं। यदि आज भी पुराने ढंग के संस्कृतज्ञों की सहायता से ऐसी किंवदंतियों का संकलन कराया जा सके, तो वह अत्यंत महत्त्वपूर्ण कार्य सिद्ध होगा । इन सभी के अतिरिक्त मंस्कृत-साहित्य के इतिहाम की विपुल सामग्री प्राचीन मुभाषित-संग्रहों में वर्तमान है, जिनका मूल्य, इस दृष्टि से आँका ही नहीं गया है । ये संग्रह, आचार्य रामचंद्र शुक्ल के द्वारा प्रयुक्त अर्थ में, 'कवि-वृत्त-संग्रह' ही हैं । जन्न प्राचीन परंपरा तथा गौण प्राचीन कवियों की कृतियों के नष्ट हो जाने की आशंका यहाँ के विद्वानों को हुई, तब उन्होंने सुभाषितों के ऐसे संग्रह तैयार किये, जिनमें मुख्यतः गौण कवियों की रचनाओं के दृष्टांन-म्वरुप छंद विभिन्न शीर्षकों के अंतर्गत सुरक्षित हो गये । यह दुर्भाग्य का विषय है कि ऐसे मरीजों को, हिन्दी की तरह, इतिहास का रूप प्रदान करनेवाले आचार्य संस्कृत को नहीं मिल ! बारहवीं शताब्दी के पूर्व का कवीन्द्रवचनममुच्चय, जिसमें संकलित ५०० से अधिक छंदों के रचयिताओं में से कोई भी १००० ई० के बाद का नहीं है'; १३वीं शताब्दी के प्रारंभ में श्रीधरदास द्वारा संकलित सदुक्तिकर्णामृत', जिसमें ४८५ कवियों के विभिन्न-विषयक छंद हैं; इसी शताब्दी के मध्य के जल्हण की मुभाषितमुक्तावली अथवा सूक्तिमुक्तावली १४वीं शताब्दी के मध्य की शार्ङ्गधरपद्धति'; १५वीं की सुभाषितावली, जिसमें ३५० से अधिक कवियों के ३००० से ऊपर छंद हैं-सुभाषित-ग्रंथों में, मंस्कृत-माहित्येतिहास की दृष्टि से, विशेषतः महत्त्वपूर्ण हैं। इन सुभाषित-ग्रंथों में जिन गौण कवियों के छंद संकलित हैं, उनका अपने ममय में, और स्पष्ट ही बाद तक, सादर स्मरण किया जाता था, किंतु असाधारण वैशिष्टय और महत्व तथा मुद्रण के अभाव में इसकी संभावना नहीं थी कि वे बहुत बाद तक, कालिदासादि प्रमुख कवियों की तरह, अवशिष्ट रहते । अतः उनके कृतित्व की रक्षा स्फुट सुभाषितों के रूप में ही संभाव्य थी, और प्राचीन विद्वानों ने इस दिशा में श्लाघ्य प्रयास किये। यहाँ ऐसे गौण कवियों की तालिका प्रस्तुत की जा रही है, जिनके छंद उपर्युक्त सदुक्तिकर्णामृत में संकलित हैं; तालिका में यह भी निर्दिष्ट है कि इनमें से किस कवि का समान छंद किस अन्य सुभाषित-संग्रह में भी संकलित है और यह भी कि आज अन्य स्रोतों से इनमें से किन गौण कवियों के समय, तथा जीवनी आदि संबंधी सूचनाएँ प्राप्य है: १॥ अचल--कवींद्रसमुच्चय (आगे क० से संकेतित); कोई सूचना नहीं (आगे म० से संकेतित) । २। अचलदास-क० न० । • ३॥ अचलनृसिंह-क० (विना नामोल्लेख क); न.। . .