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पृष्ठ:साहित्य का इतिहास-दर्शन.djvu/५७

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साहित्य का इतिहास - वर्शन इसका अर्थ यह नहीं कि अँगरेजी के साहित्यिक इतिहासों के व्यवहृत सांप्रतिक युग- नाम संतोषजनक हैं । 'रिफार्मेशन' जैसे नाम धार्मिक इतिहास से, ह्य मैनिज्म' दार्शनिक इतिहास से, 'रिनासाँ' कला के इतिहास से, 'कामनवेल्थ' तथा 'रिस्टोरेशन' निश्चित राजनीतिक घटनाओं से लिये गये हैं । तिथि-क्रम का आभास देनेवाला पद 'एट्टींथ सेंचुरी' साहित्यिक संज्ञाओं, 'आगस्टन' तथा 'निओ-क्लासिक' के संकेत से युवत हो चुका है। 'प्रि-रोमांटिसिज्म' और 'रोमांटिसिज्म' प्रधानतः साहित्यिक पद हैं, और 'एडवर्डियन', 'जार्जियन', आदि, गजाओं के राजत्व - काल से लिये गये हैं । अन्य देशों के साहित्यिक इतिहासों के युग नामों की भी यही स्थिति है । उदाहरणार्थ, अमरीकी साहित्यिक इतिहास में 'कोलोनियल पीरियड' तो राजनीतिक नाम है, जब कि 'रोमांटिसिज्म' या 'यथार्थवाद' साहित्यिक पद हैं । ४४ ऐसे गुगन्नामों के पक्ष में कहा जा सकता है ये इतिहास की ही अपनी अस्तव्यस्तता के परिणाम हैं, हमें स्वयं लेखकों के विचारों और विभावनों, कार्यों और नामकरणों पर तो ध्यान देना ही पड़ेगा और उनके अपने विभाजनों को मान्यता प्रदान करनी ही होगी। सचेष्ट रूप से विहित कार्यों और वर्गों और स्वकृत व्याख्याओं का साहित्यिक इतिहास में बहुत महत्त्व है अवश्य, किंतु उन्हें हम युग - विशेष के अध्ययन के लिए उपादेय उपकरण के रूप में ही ले सकते हैं । उनसे साहित्यिक इतिहासकार को सुझाव और संकेत तो मिल सकते हैं, किंतु वे उसके लिए प्रणालियाँ और वर्गीकरण निर्धारित नहीं कर सकते – कुछ इसलिए नहीं कि साहित्यिक इतिहासकार की दृष्टि अपेक्षया अधिक गहराई तक जाने की क्षमता अवश्यमेव रखती है, बल्कि इस कारण कि वह अतीत को वर्तमान के प्रकाश में देख सकती है । फिर यह भी कहना कठिन है कि विभिन्न स्रोतों से प्राप्त युग-नाम तत्तत् युगों में प्रति- ष्ठित हो ही चुके रहते हैं; छायावादियों ने प्रारंभ में अपने को छायावादी नहीं कहा था, गोकि बाद में प्रतिकूल आलोचना में प्रयुक्त इस नाम को उन्होंने स्वीकार कर लिया था; एजरा पाउंड आदि कुछ कवियों ने 'इमैजिज्म' और 'बोर्टिज्म' के स्वयं-प्रदत्त नाम के साथ- साथ शैली विशेष की कविता लिखी थी; किंतु न तो वीर गाथा-काल के कवि इस नाम से परिचित थे, न रीतिकाल के ही, हालांकि खोज-ढूंढ़ कर रीति शब्द के इस प्रसंग के अनुकूल उल्लेख का निर्देश भी किया गया है। इसी प्रकार इंग्लैंड के रोमांटिक कवियों ने अपने को शायद ही कभी रोमांटिक कवि कहा हो । अँगरेजी साहित्य के इतिहासों में जिसे साधारणत: रोमांटिक आंदोलन कहा जाता है, उससे कालरिज और वर्डस्वर्थ को १८४६ के लगभग संबद्ध किया गया, और वे शेली, कोट्स और बायरन के साथ वर्गीकृत हुए । साधारण रूप से काफी बाद तक यह वर्गीकरण बहुत प्रचलित नहीं हुआ था; उदाहरण के लिए, १८८२ में प्रकाशित 'लिट्रेरी हिस्ट्री आव इंग्लैंड बिट्वीन द एंड आव द एट्टींथ एंड बेगिनिंग आव द नाइनटींथ सेंचुरी' नामक अपनी पुस्तक में मिसेज ओलिफेंट ने इस नाम का प्रयोग नहीं किया है और वे 'लेक पोएट्स', 'काकनी स्कूल' और बायरन को तो सर्वथा पृथक् वर्ग में, 'सैटेनिक' बायरन का नाम देकर, रखती हैं । कहने का तात्पर्य यह है कि साहित्यिक इतिहास के ग्रंथों में साधारणतः प्रचलित युग-नामों में विशेष युक्तियुक्तता नहीं । वास्तव में वे राजं- नीतिक और साहित्यिक और, यदि अँगरेजी यादि साहित्यों के इतिहासों को ले लिया जाय, तो कलात्मक नामों की खिचड़ी ही है ।