पृष्ठ:साहित्य का उद्देश्य.djvu/२६५

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लेखक संघ

 

लेखक संघ के विषय में 'हंस' मे विज्ञप्ति निकल चुकी है और साहित्य-सेवियों तथा पाठकों को यह जानकर हर्ष होगा कि लेखकों ने संघ का खुले दिल से स्वागत किया है। और लगभग साठ सज्जन उसके सदस्य बन चुके हैं। चारों तरफ से आशाजनक पत्र आ रहे हैं मगर अभी तक यह निश्चित नही किया जा सका कि संघ का मुख्य काम क्या होगा? संयोजक महोदय ने अपने प्रारम्भिक पत्र में संघ के उद्देश्यों का कुछ जिक्र किया है, और जो लोग संघ में शामिल हुए हैं, वे उन उद्देश्यों से सहमत हैं, इसमें सन्देह नहीं; लेकिन वह उसूल कार्य बनकर क्या रूप धारण करेंगे, इस विषय में कुछ नही कहा जा सकता! संघ लेखकों के स्वत्वों की रक्षा करेगा। लेकिन कैसे? कुछ सज्जनों का विचार है कि लेखक संघ उसी तरह लेखकों के हितों और अधिकारों की रक्षा करे, जैसे अन्य मजूर संघ अपने सदस्यों की रक्षा करते हैं, क्योंकि लेखक भी मजूर ही हैं, यद्यपि वे हथौड़े और बसुले से काम न करके कलम से काम करते हैं। और लेखक मजूर हुए तो प्रकाशक पूंजीपति हुए। इस तरह यह संघ लेखकों को प्रकाशकों की लूट से बचाये, और यही उसका मुख्य काम हो। कुछ अन्य सज्जनों का मत है कि लेखक संघ को पूंजी खड़ी करके एक विशाल सहकारी प्रकाशन संस्था बनाना चाहिए जिससे वह लेखक को उसकी मजदूरी की ज्यादा से ज्यादा उजरत दे सके। खुद केवल नाम मात्र का नफा ले ले, वह भी केवल कार्यालय के कर्मचारियों के वेतन और कार्यालय के दूसरे कामों के लिए। सम्भव है इसी तरह के और

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