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साहित्य-सीकर

हज़ारों तरह के उपदंशहारक, प्रमेहमारक, शुककारक दवाओं के; लाखों तरह के बीस, पच्चीसा, तीसा यन्त्र और उड्डीस, साबर वृहत्साबर, महावृहत्साबर ग्रन्थों के अजीब अजीव विज्ञापन हैं।

२५—बल आपका उपहार है। अगर आप उपहार को बाँट कर अपने बल को कायम रखने या बढ़ाने की चेष्टा पर चेष्टा न करते रहें तो शीघ्र ही आपको घुटने थामकर उठने, या खड़े रहने की जरूरत पड़े। इसलिये आपका उपहार का बहुत बड़ा ख्याल रहता है और उसकी तारीफ जिखने में आप सहस्त्रबाहु हो जाते हैं।

२६—खेल आपका टेबल, आलमारी, ताक, सन्दूक और चारपाई पर पड़े हुए सामयिक साहित्य, पुस्तक, ग्रंथ, किताब, अखबार वगैरह की समालोचना है। खेल क्या यह तो आपकी एक अद्भुत लीला है। कभी आप किसी किताब की छपाई की तारीफ करते हैं; कभी उसके कागज की; और कभी उसके लिखनेवाले की। भूल से कभी आप उसके गुण-दोष की भी एक आध बात कह डालते हैं। एक बात आप में अजीब है। वह यह कि अँगरेजी चाहे आप राम का नाम ही जानते हो, पर जरूरत पड़ने पर बैकन, बाइथन, कारलाइज, मिल्टन और शेक्सपियर के ग्रन्थों का भी मर्म आप खूब समझ लेते हैं और समझा भी देते हैं। वदों पर भी आप व्याख्यान दे डालते हैं; दर्शन शास्त्रों का सिद्धान्त भी आप समझ लेते हैं; इंगलैंड तथा हिन्दुस्तान के बड़े बड़े विद्वानों की पोजिटिकल वक्तृताओं को भी आप अपने आलोचना कुठार से काट कर छिन्न-भिन्न कर डालते हैं।

२७—देशोपकार आपका पुत्र, धर्म्मरक्षा आपकी कन्या; अच्छी-अच्छी पुस्तकों की प्राप्ति आपकी पत्नी; और ऐसी-वैसी पुस्तकें और ओपधियाँ आपकी दासियाँ हैं।

२८—सम्पादक आपके दोस्त और मुफ़्त पढ़ने वाले आपके जानी दुश्मन हैं।