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अमेरिका के अख़बार

वे बचे रहते हैं। इस तरह देहाती अख़बार वाले थोड़ी मिहनत और थोड़े खर्च में अच्छे-अच्छे अखबार निकाल सकते हैं और निकालते भी हैं।

सिंडीकेटों की तरह अखबारी सभाएँ (News paper unions) भी यही काम करती हैं। फर्क केवल इतना ही है कि ये सभायें छपे हुये कागज़ों की जगह कम्पोज किये हुये लेख़ों के प्लेट बहुत कम दामों पर बेचती हैं। अखबार वालों को केवल इतना ही काम करना पड़ता है कि उन्हें प्रेस पर जमाकर वे छाप देते हैं। इनके सिवा प्रकाशक समितियों (Publicity Bureaus) भी अमेरिका भर में फैली हुई हैं। उनका काम प्रति सप्ताह अखबारों में पत्र लिखना है। यह काम वे मुफ़्त करती हैं। इसका कारण यह है कि इन पत्रों में गुप्त विज्ञापन रहते हैं। जिन लोगों के विज्ञापन इनमें रहते हैं। वही लोग इनके जीवन के आधार होते हैं।

केवल देहाती अखबार ही नहीं, किन्तु मासिक पुस्तकें भी छपे हुये कागज़ के बल पर प्रकाशित होती हैं। मासिक-पुस्तक-प्रकाशक लोग हर महीने लेख खरीद लेते हैं। ये सब लेख केवल छपे ही नहीं किन्तु पुस्तकाकार बंधे भी होते हैं। केवल टाइटिल-पेज कोरा रहता है, उन पर प्रकाशक अपना नाम छाप देता है। इसके सिवा भीतर भी कुछ कोरे रहते हैं, जिनमें प्रकाशक अपने मतलब के लेख, विज्ञापन आदि छापता है। इस तरह थोड़े परिश्रम और खर्च से मासिक-पुस्तक-प्रकाशक लोग अच्छा फायदा उठाते हैं।

अमेरिका के अखबार वाले अपने पत्रों का प्रचार बढ़ाने की तरकीब खूब जानते हैं। इसीलिये वे चौंका देनेवाली खबरें, चित्र और कारटून प्रत्येक अङ्क में अवश्य प्रकाशित करते हैं। क्योंकि सर्वसाधारण उन्हें बहुत पसन्द करते हैं। इसके सिवा वे थोड़ी-थोड़ी सब तरह की बातें छापते हैं। इसलिये पत्रों को सब तरह के पेशे, विचार,