पृष्ठ:सिद्धांत और अध्ययन.djvu/३७

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विषयानुक्रम १. काव्य की आत्मा (१-१६) शरीर और यात्मा !, विभिन्न सम्प्रदाय २, समन्वय १३ । २. काव्य की परिभाषा (१७-२६) . भावपक्ष और कलापक्ष १७, काव्य के तस्व १८, द्विवेदी और शुक्क २२, चमस्कारवाद २३, समन्वय २५ । ... ३. काव्य और कला (२७-३७) . . दृष्टिकोण-भेद २७, कला और प्रकृत्ति ३१, कला की परिभाषा ३१, उपयोगी और ललितकलाए. ३४, कान्ताओं का वर्गीकरण ३४ ।। . ४. साहित्य की मूल प्रेरणाएँ (४०-५६) साहित्य और जीधन ४०, जीबन को प्रेरणाएँ ४१, भारतीय दृष्टिकोणा ४३, काव्य के प्रयोजन ४५, विशेष ५६ । ५. काव्य के हेतु (५७-६४) काव्योजय के हेतु ५७, प्रतिभा का महत्त्व और रूप ५८. व्युत्पत्ति और अभ्यास ६०, काव्य के रूप पर प्रकाश ६०, मौलिकता का प्रश्न ६०, साहित्यिक चोरी ६१, प्रतिभा और रुचि ६२ । ६. कविता और स्वभ (६५-७४) .. नात्मप्रसङ्ग ६५, स्वपन के तस्त्र ६५, कल्पना ६७, प्रतिभा ६८, सुलना ६६, कुछ कवियों के स्वप्न ७१। .. ७. सत्यं शिवं सुन्दरम् (७५-८५) प्राचीन अादर्श ७५, विज्ञान, धर्म और काव्य ७६, समन्वय ७६, शिव का श्रादर्श ८०, सौन्दर्य का मान ८१ । ८. काव्य के वरीय (८६-१३७) भावपक्ष और कलापक्ष ८६, रस ८६, रस-सामग्री ८७, विभाव ८८, चरित्र-चित्रण ६०, प्राकृतिक दृश्य ६२, भाव और विचार ६८, मार १००, हास्य १०८, करुण ११०, रौद १११, चीर ११२, भयानक ११३, धीभत्स ११५, अद्भुत ११ ६, शान्त