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पृष्ठ:सुखशर्वरी.djvu/६३

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७५.५ास। FEAREERATOREHEALTERNE द्वादश परिच्छेद. M 0mi HEHREE परिशिष्ट । " नित्यं भवन्ति संसारे, घहव्यः प्रकृतिजाः क्रियाः । जनानां भिन्नमाधानां, नानामार्गानुयायिनाम् ॥" (व्यासः) शुभ दिन, शुभ लग्न और शुभ मुहूर्त में अनाथिनी के यो संग हरिहरबांबू के पुत्र भूपेन्द्रकुमार का शुभ विवाह होगया और उन दोनो के आनन्द की सीमा न रही। - सरला से उदासीन का गठ-बंधन हुआ और वे दोनों प्रणयी भी आनन्दसिंधु में डूब गए। सुखदना से प्रेमदास का परिणय हुआ और उन्हें हरिहरबाबू ने भूसम्पत्ति देकर अयाची कर दिया। सुबदना इस हर्ष में फूली नहीं समाती थी। . मनसाराम को सुरेन्द्र के चुराने के अपराध में तीन वर्ष का सपरिश्रम कराबास, कापालिक को यावजीवन द्वीपान्तर, मजिष्ट्रेट को छुरी मारनेवाले मनसाराम के भाई को जन्मभर का कालापानी और रामशंकर को दस वर्ष के कारागार का दण्ड हुआ । - हमने सुबदना, सरला और अनाथिनी की रूपराशि का वर्णन नहीं लिखा है, इससे रूपगर्वितागण रुष्ट होंगी; किन्तु हम क्या करें! क्योंकि वे तीनों अद्वितीयरूपवती थीं, अतएव उन निरुपमाओं की किसको उपमा देते ? यदि कोई रूपगर्थिता पाठिका उन तीनों के रूप की छटा देखा चाहें तो पहिले अपने रूप को निरा पानी समझ, तब उन तीनों रमणियों की छवि स्वयं आँखों के आगे मा जायगी। अनाथिनी का नाम हरिहरबाबू ने " गृहलक्ष्मी ” रखा था । अन्त में इतना और भी समझलेना चाहिए कि मनसाराम के भाई ने जिन मजिष्ट्र टसाहय को छुरी मारी थी, वे दो। महीने के अन्दर अच्छे होगए थे। इस प्रकार पाप और पुण्य का परिणाम दिखाया गया है। इतिश्री। HEAL