पृष्ठ:सोना और खून भाग 1.djvu/१९८

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हर तरह कसते ही गए । अन्त में भोंसले के ही खच पर रक्खी गई- सब-सीडीयरी सेना ही से भोंसले का राज्य हड़प लिया गया। इस काम में विश्वासघातकों और रिश्वतखोरों ने सेना की अपेक्षा अधिक महत्व का काम किया । भोंसले का राज्य एक प्रकार से अंग्रेज़ी राज्य में मिला लिया गया, और अप्पा साहेब एक नज़रबन्द की भाँति अपने महल में रहने लगे। अभी अप्पा साहेब की आयु केवल २२ वर्ष की ही थी । वह हेस्टिग्स को अपना बाप और रेजीडेण्ट जेनकिन्स को अपना बड़ा भाई कहा करता था। अप्पा साहेब ने अपने बचे-खुचे अधिकार भी कम्पनी को देकर-कुछ पेन्शन लेने की इच्छा प्रकट की-परन्तु अंग्रेजों ने यह स्वीकार नहीं किया। और उस पर वाला जी की हत्या का इल्जाम लगा कर उसे गिरफ्तार कर के कैद कर लिया। उसे कैद कर के इलाहाबाद के किले में भेज दिया गया। और नागपुर की गद्दी पर राघोजी भोंसले का एक दुधमुंहा नाती बैठा दिया गया और राज्य का सारा प्रबन्ध एक अंग्रेज रेजीडेन्ट के हाथों में सौंप दिया गया। अप्पा साहेब इलाहावाद जाते हुए रास्ते से भाग निकला और अनेक झगड़े-टंटे करते हुए जोधपुर के एक मन्दिर में शरणापन्न हुग्रा-वहीं उसका प्राणान्त भी हुआ। होल्कर का राजवंश वेल्जली की चोट से बच निकला था, समय वहाँ का प्रवन्ध मन्त्री गणपतराव कर रहा था, जो मृत राजा की रखैल तुलसीबाई के प्रभाव में था। गद्दी का अधिकारी मल्हारराव अभी बालक था। नमकहराम अमीर खाँ पिण्डारी अभी होल्कर राज्य पर पंजा रखे हुए था। वाजीराव के पतन के एक वर्ष प्रथम ही मन्दसौर की सेना में होल्कर राज्य सही अर्थों में अंग्रेजों की दासता में बंध चुका था। यही हाल कोल्हापुर राजवंश का था। सिंधिया तो इससे बहुत पहले परकैच हो चुका था। इस प्रकार इस समय सम्पूर्ण मराठा मण्डल अंग्रेजों की दासता में बंध चुका था। अब अंग्रेजों ने मराठा मण्डल तथा पेशवा के सब दुर्ग अधिकृत कर लिए । इनमें अनेक अभेद्य थे, वास कर त्र्यम्बक इस