पृष्ठ:सोना और खून भाग 1.djvu/२१२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

हिन्दुओं के शासन काल में विद्या प्रचार की सहायता के लिए बड़ी-बड़ो रक़में राज्य की ओर से बंधी हुईं थीं, वे अब बन्द हो गई हैं, और हमारी अंग्रेज़ी सरकार उन्हें किसी प्रकार की कोई आर्थिक सहायता नहीं देती।" "लेकिन सबसे अधिक विचारणीय बात तो यह है कि क्या भारत- वासियों को शिक्षा देना अंग्रेजों के लिए हितकर है अथवा अहितकर । आप अच्छी तरह जानते हैं कि हम लोगों ने अपनी इसी मूर्खता के कारण अमेरिका को हाथ से खो दिया, क्योंकि हमने कालेज और स्कूल वहाँ कायम हो जाने दिए। अब भारत के विषय में हम अपनी मूर्खता दोह- राना नहीं चाहते।" "लेकिन हमें अपने सरकारी महकमों और नयी अदालतों के लिए योग्य हिन्दू और मुसलमान कर्मचारी चाहिए, जिनके बिना इन महकमों और अदालतों का चलना संभव नहीं है। इसके अतिरिक्त हमें भारतीय जनता के हार्दिक भावों का पता भी लगता रहना चाहिए जिससे जनता के भावों को हम अपनी ओर मोड़ सकें। "पाप ठीक फर्माते हैं। कलकत्ते का मुसलमानों का मदरसा और बनारस का हिन्दू कालिज और पूना का डक्कन कालेज इसी दृष्टिकोण से बनाया गया है। और अब मैं सुनता हूँ कि कलकत्ते में एक मेडिकल कालेल की स्थापना होने वाली है। परन्तु मेरा उद्देश्य तो सर्वथा ही दूसरा है। "आपका उद्देश्य क्या है ? "यह कि उच्च व मध्यम श्रेणी के उन्हीं भारतवासियों की शिक्षा पर ध्यान दिया जाय जिनसे कि हमें अच्छे शासन केलिए देशी एजेन्ट मिल सके और जिनका देशवासियों पर भी प्रभाव हो।" "तो आपका मतलब यह है कि बिना योग्य भारतवासियों की सहा- यता के ब्रिटिश राज्य का चल सकना सर्वथा असंभव है।" "निस्संदेह मेरा दृष्टिकोण यही है। और इसीलिए मेरा यह दृढ़