सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:सोना और खून भाग 1.djvu/२४८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

बादशाह के उत्तराधिकारी का प्रश्न उठाएँ । अब यदि मन्नाजान को बादशाह का पुत्र कह कर गवर्नर-जनरल के सामने उपस्थित किया गया तो निश्चय ही वही नसीर के बाद अवध का बादशाह बनेगा। पर यह बात नसीर नहीं चाहता था। इसलिए अब वह मन्नाजान को मार डालने या उसे कहीं दूर भेज देने पर तुल गया । परन्तु जनाबे आलिया बेगम भी दृढ़ता से हठ ठान बैठी कि बच्चे को उसके हवाले नहीं करेंगी। अब बादशाह ने प्रथम तो सेना भेज कर माता को गिरफ्तार करना चाहा । पर फिर उसने विचार बदल दिया और उसने चार सौ स्त्री-सैनिकों को जनाबे आलिया बेगम के महल पर धावा करने को भेज दिया। प्रालिया बेगम भी मुक़ाबिले को तैयार हो गईं। उनके पास काफ़ी स्त्री-सैन्य थी। उसने नसीर की स्त्री-सेना को मार भगाया। पर इस स्त्री-सेना के में काफ़ी मार-काट हुई। अनेक स्त्री-सिपाही मारी गईं। वज़ीरे-आज़म ने तुरन्त इस घटना की खबर रेजीडेन्ट को दे दी। रेजीडेन्ट ने आ कर बादशाह की बहुत लानत मलामत की। डराया-धमकाया और जनाबे आलिया बेगम को अपने संरक्षण में ले लिया। बादशाह इन सब बातों से बहुत झल्लाया। वह अर्धविक्षिप्त की भाँति रहने लगा। बादशाह के अंग्रेज़ मुसाहिबों को बड़ी चिन्ता हुई। खास कर हज्जाम बहुत डर गया था। क्योंकि इतनी बड़ी दुर्घटना की उसने अाशा नहीं की थी। उसका लाभ इसी में था कि बादशाह का मिज़ाज ठीक रहे। अतः उसने बादशाह के मनोरंजन के अनेक उपाय किए, पर बादशाह का मन किसी में न लगा। तब यह तय किया कि बादशाह को लखनऊ से बाहर ले जाकर शिकार खिलाया जाय । बादशाह ने इस बात को पसन्द कर लिया। लखनऊ से दस कोस के अन्तर पर शिकार का बन्दोबस्त हुआ । बहुत से खेमें और छोलदारियां लगाई गईं। एक छोटा-सा बाजार भी वहाँ लगाया गया। बादशाह अपने दरबारियों और वज़ीरों के अतिरिक्त दो-तीन बेगमों, बीस-पच्चीस रखेलियों, सैकड़ों दासियों और सैकड़ों नौकरों को साथ ले गया। एक छोटी-सी फौज २५२