थोड़ी देर में वादशाह की मृत्यु हो गई । मृत्यु की खबर रेजीडेन्सी पहुँची। नए रेजी- डेन्ट कर्नल लॉ तत्काल अपने दोनों सहयोगियों-पाटन और शेवमपियर के साथ महल में आए । पाटन को महल के द्वार पर बिठाकर रेजीडेण्ट ने बादशाह के कमरे में प्रवेश किया। बाँदी अशरफ लापता थी। इसके बाद नसीर के वृद्ध चचा नवाब मुहम्मद अली को तलब किया । और उनसे कहा-"हम आप को बादशाह बनाने की कोशिश करेंगे।" वृद्ध नवाब ने तीन बार झुक कर कर्नल लॉ को सलाम किया । और कहा-खुदा कम्पनी बहादुर को सलामत रखे । उसके बाद वे नमाज पढ़ने चले गए। रेजीडेंट रेजीडेंसी में लौट आए। महल पर उनके सहयोगी पाटन की निगरानी रही। रात के दो बजे बादशाह बेगम अपनी स्त्री मन्य लेकर पालकी पर चढ़ मन्नाजान को हाथी पर बैठा महल के द्वार पर आई। पाटन माहब ने द्वार बन्द कर दिया। पर बेगम ने हाथी से द्वार तुड़वा डाला । इस समय बेगम के सम्पर्क के पन्द्रह सौ सिपाही पा जुटे। वे मव थियार लेकर
पृष्ठ:सोना और खून भाग 1.djvu/२७७
दिखावट