पृष्ठ:सोमनाथ.djvu/२०५

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आदेश दे दिया गया कि उन्हें छेड़ने का कोई काम नहीं है। वे दूसरों का अनिष्ट न करें, केवल यही देखना चाहिए। इसके अतिरिक्त इस धूर्त रुद्रभद्र की कोई कहीं गहरी चाल तो इस ढोंग-धतूरे की ओट में नहीं चल रही है, यह भी देखने का आदेश महता ने अपने शिष्य को दे दिया। गजानन ने अपने पचास सैनिकों को उन्हीं कलमुंहों के छदम वेश में उनमें प्रविष्ट कर दिया। वे उनमें घुल-मिलकर ईंधन लाने, चिल्लाने तथा होंठ हिलाने लगे। महत्त्वपूर्ण और आवश्यक सन्दिग्ध संदेश गजानन के द्वारा महता दामोदर के पास पहुँचने लगे।