पृष्ठ:सोमनाथ.djvu/२१७

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किनारे तक चले आए। बहुत से सवारों ने घोड़े पानी में डाल दिए। बहुत सवार तट पर खड़े होकर ही तीर फेंकने लगे। इसी समय बालुकाराय ने संकेत किया और मन्दिर के कंगूरों से तीरों की वर्षा प्रारम्भ हुई। इस भीषण बाण-वर्षा से घबराकर तुर्क सैन्य की गति रुक गई। अनेक सवार मुँह मोड़कर लौट चले। अनेक खाई के जल में ही डूबने उतराने लगे। परन्तु कुछ खाई के इस पार आकर ऊपर चढ़ने की चेष्टा भी करने लगे। इन पर राव के कच्छी योद्धाओं ने तलवार की भारी मार करनी प्रारम्भ की। देखते-ही-देखते वह सारा रणक्षेत्र भयानक मार-काट, चिल्लाहट और वीभत्स दृश्यों से भर गया। सूर्य का प्रखर तेज बढ़ने लगा और युद्ध भी घमासान होने लगा। बाणों से आकाश छा गया। घायलों की कराह और चीत्कार से वातावरण गूंज उठा। अपराह्न में सूर्यास्त से पहले ही अमीर ने युद्धावसान का संकेत किया। तुर्क और अरबी अपने योद्धा मृत शवों को छोड़ भग्नोत्साह पीछे शिविर में लौटे। हिन्दू सैन्य में जय जयकार का बोल-बाला हुआ।