पृष्ठ:सोमनाथ.djvu/४१९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

52. कृष्णदेव का एक शिलालेख विक्रम संवत् 1117 माध सुदी छठ का भीनमाल में मिला है, जिसमें उसको परमार राजा धुंधक का पुत्र लिखा है। 53. एपिग्राफिया इण्डिका, पृष्ठ 74-75। 54. द्वयाश्रय काव्य, सर्ग 9, श्लोक 23 से 66 तक। 55. रत्नमाला, पृष्ठ 331 56. प्रबन्धचिन्तामणि, पृष्ठ 131। 57. प्रबन्धचिन्तामणि, पृष्ठ 129-31 । 58. प्रबन्धचिन्तामणि। 59. इंडियन एंटीक्वैरी, जिल्द 6, पृष्ठ 193-95 । 60. इंडियन एंटीक्वैरी 18, पृष्ठ 109 । भारतीय प्राचीन लिपिमाला, दूसरा संस्करण, पृष्ठ 29 । 62. पिक्चर्स इलस्ट्रेशन ऑफ एंशिएंट आर्किटेक्चर इन हिन्दुस्तान (फर्गुसन-कृत)। 63. देखिए टाड-कृत राजस्थान। 64. ना. प्र. पत्रिका, भाग 2, पृष्ठ 330-32 । प्रबन्धचिन्तामणि। 66. प्रबन्धचिन्तामणि (मेरुतुंग), पृष्ठ 40-43 । 67. देखिए कृष्णाजी की रत्नमाला में उल्लिखित शिलालेखों का विवरण ओर इसी विषय पर रामलाल चुन्नीलाल मोदी का लेख। DDD 61. 65.