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पृष्ठ:सौ अजान और एक सुजान.djvu/१२०

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बाईसवॉ प्रस्ताव

चेवकूफ बनाकर फॅसाने की कोई बात छोड़ नहीं रक्खी थी। मैं यह जरूर कहूँगा कि बाबू ऐसे रईस खानदानी की यह कभी इच्छा न रही होगी कि वे थोड़े के लिये नियत बिगाड़े। यह नंदू इस बुराई का जैसा बानीमुबानी रहा, वैसा ही यह सब मुसीबत भी उसी पर आ टूटी। मै बेकुसूर हूँ।" पुलीस के सिपाही–"चुप रह वे, सेत-मेत की टायॅ-टायॅ कर रहा है। उस वक्त. इन सब बातों का खयाल क्यों न किया, जब जाल रचने बैठा था। बचा, बहुत दिनों के बाद हम लोगों के चंगुल में आए हो।"

चंदू इन सब बातों को सुन मन-ही-मन प्रसन्न होने लगा, और सोचने लगा कि इसका इस जून का यह चिल्लाना मेरे लिये बहुत फायदे का हुआ। अब मैं जाऊँ, और इसकी खबर पंचानन को दूॅ।

चंदू–(प्रकाश) बाबू, तुम बेखटके रहो। ईश्वर ने चाहा, तो तुम्हारी रिहाई हो जायगी।

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बाईसवाँ प्रस्ताव

सत्यमेव जयति नानृतम्।[]

अंत को यह मुकदमा लखनऊ के चीफकोर्ट में पेश किया गया। पंचानन को इसमे चंदू ने गवाह नियत किया । पंचा- नन को, जो सदा चैन में रहना ही अपने जीवन का उद्देश्य


  1. *सत्य की ही विजय होती हैं, असत्य की नही।