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पृष्ठ:सौ अजान और एक सुजान.djvu/४

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गंगा-पुस्तकमाला का सतहत्तरवाँ पुष्प

सौ अजान और एक सुजान

[एक प्रबंध-कल्पना]

लेखक

स्वर्गवासी पं० वालकृष्ण भट्ट ।


रे जीव सत्सङ्गमवाप्नुहि त्वमसत्प्रसङ्ग त्वरया विहाय,

धन्योऽपि निन्दा लभते कुसमात्सिन्दूरविन्दुर्विधवाललाटे ।

.

मिलने का पता-

गंगा-ग्रंथागार

३६, लाटूश रोड

लखनऊ

.

सातवाँ संस्करण

सजिल्द १।।।)]
[सादी १)
सं० २००१ वि०