पृष्ठ:स्टालिन.djvu/५८

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सतावन] कब्जे में था-उसकी खप्पेदार दादी और ढलकी हुई मूछे दिखलाई गई थीं। शीजीको छोटी २ मूछे रखता था, जिसके छोरों को मोम लगा कर चल दे लिया करता था। यह व्यक्ति सेंट पीटर्सबर्ग में एक किराये के मकान में रहता था। वह एक दिन वहां से चल कर बातूम पहुँचा। यह वही स्थान था जहां पुलिस ने उसे पहने नजरेज के नाम से गिरफ्तार कर तीन वर्ष का निर्वासन-दण्ड दिया था। उसके बातूम पहुँचते ही क्रान्ति- कारियों में दबे हुए आन्दोलन की अग्नि पुनः प्रज्वलित हो गई। पुलिस ने नेता की खोज आरम्भ की और अन्त में शीजीको पकड़ा गया। उसने अपने कागजात दिखलाकर पुलिस को विश्वास दिलाने का बड़ा भारी यत्न किया कि वह एक अन्य ही व्यक्ति है, किन्तु पुलिस ने जान लिया कि यह वही व्यक्ति है जो पहले नजरेन नाम से दण्डित हुआ था। इस बार उसे ६ वर्ष के कठोर कारावास का दण्ड दिया गया । स्टालिन ऐमा मनुष्य न था जो अपनी कैद का समय चुपचाप निकलने देता। वह कुछ वर्ष पीछे फिर जेल से भाग निकला और सीधा सेंटपोट सेवर्ग पहुँचा। वहां उपका इरादा अपना एक नया नाम धारण कर उसी नाम के कागजात एकत्रित करने का था। किन्तु मुख्य स्थान पर पहुँचते ही वह पुनः पकड़ा गया और दण्डित हुआ। उसने चौथी बार फिर भागने की योजना बनाई और उस योजना को वह कार्य रूप में परिणत करने में सफल भी होगया । सन् १९१२ में पार्टी की कांग्रेस का अधिवेशन प्रेग में होना निश्चित हुआ। स्टालिन सोधा वहीं पहुँचा। अब तक स्टालिन ने अपने जीवन में आश्चर्यजनक कार्य कर दिखलाए थे। अत: आन्दोलन के समर्थकों ने उसका अपूर्व स्वागत किया और उसे