सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:स्टालिन.djvu/६६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

पंखठ] [ *** किया? परन्तु प्रत्येक क्षण इस प्रश्न पर विचार करते रहने पर भी वह किसी सन्तोषजनक परिणाम पर न पहुंचा। वह साचता था कि "पुलिस मेरी कल्पनामों से भी बढ़ कर दक्ष पाई गई। मैं समझता था कि उसका ज्ञान-क्षेत्र पारामत है, नकिन इस घटना ने मेरी कल्पनाओं को बिल्कुल निमून बना दिया।" वस्तुस्थिति कुछ भी रहो हो । इस प्रश्न का कि पुलिस को सारी स्पष्ट बाते क्यों कर ज्ञात हुई-स्टालिन अपने दिमाग से नहीं निकाल सकता था। उसके मन में रह २ कर प्रश्न उठता था कि पुलिस न कैसे जाना कि पहले विभिन्न नामा से गिरफ्तार होकर दण्ड पाने वाला यह एक ही व्यक्ति था। जब इस भेद को वह पहन न पा सकी तो उसने इस भेद को बाद में कैसे पा लिया से इस बात का बड़ा ही भाश्चये था। चार वष क बन्दी जीवन में उसन अपने साथ काम करने वाले मित्रा और सहयोगियो पर सहला बार र्राष्ट-पात किया । सहस्त्रा बार वह अपन भाप प्रश्न करता था कि ऐसा कोनसा मित्र हे जिसन मेरे रहस्य का भेद खोला भाखिर किसको मर जीवन का इसनी बाते बात हो सकती है। उसका खयाल उस समय की मार जावा जब पुलिस न भाकर उसे गिरफ्तार t..या था। उसका मित्र मानानास्का उसके बराबर में खड़ा था। माज्ञानास्को ने उस अवसर पर उसका निषिता पर बहुत बन दिया था, किन्तु सिपाहिया ने उसका कार बात न सुन कर उसे कठोरतापूर्वक एक भार को कर दिया...। इन चार वर्षों में मालोनास्की ने पार्टी में असाधारण प्रभुत्व प्राप्त कर लिया था। लेनिन ने उसको याम्यवा के सम्बन्ध में जो भविष्य-वाणो को थो, वह सोलहां भाने सस्य निकला था। मानीनोस्की प्रबन्धक समिति का सदस्य भी बन गया था। युख-