भी ऊपर कही हुई अनिवार्य बाधाएँ आती ही हैं। इसके अलावा जब हम इस बात पर विचार करते हैं कि एक स्त्री के स्वभाव को जान जाने पर क्या इतने ही से समग्र स्त्रीवर्ग के स्वभाव की जानकारी पूरी हो सकती है? तो यह कभी सम्भव नहीं; उस ही प्रकार कदाचित् कोई मनुष्य किसी एक सामाजिक स्थिति वाली या एक देश वाली बहुत सी स्त्रियों के स्वभाव का ज्ञान प्राप्त करे, तो इतने ही कारण से क्या यह कहा जा सकेगा कि उसने प्रत्येक सामाजिक स्थिति वाली या प्रत्येक देश की स्त्रियों के स्वभाव का
ज्ञान प्राप्त कर लिया? पर यह भी होने का नहीं; यदि मान भी लिया जाय कि ऐसा ज्ञान एक मनुष्य प्राप्त कर सकता है, तो यह बात तो निर्विवाद स्वीकार की जायगी कि वह ज्ञान इतिहास को एक ही युग का है। इन सब बातों को सामने रख कर हम दृढ़ता के साथ कह सकते हैं कि भविष्य की बात को एक ओर छोड़ कर केवल वर्तमान स्त्रियों के स्वभाव, विचार और सम्बन्ध के विषय में जो कुछ ज्ञान हम प्राप्त कर सकते हैं, वह निरा अधूरा और अनुमानों से भरा हुआ होगा, और जब तक स्त्रियाँ ही अपने हृदय की बात कहने में समर्थ न हों, उन्हें ऐसे सबल साधन न मिलें कि जिनके आधार पर वे अपनी बातें प्रकट करें-तब तक इस स्थिति पर यों ही काला परदा पड़ा रहेगा।
२२-ऐसा समय अभी तक नहीं आया, और ऐसा समय