राज्य चलाने का मुख्य अङ्ग यही है कि, योग्य से योग्य मन्त्रियों का चुनाव किया जाय-और इस काम में स्त्रियाँ पुरुषों से विशेष योग्य हैं। 'कैथराइन-डी-मेडिमी' के समान सदसद्विचारशून्य राजकुमारी भी 'चान्सलर डोला हॉपिटेल' जैसे राजकार्यकुशल व्यक्ति की योग्यता पहचान सकी थी। इसके सिवा यह बात भी सत्य है कि आजतक जितनी प्रसिद्ध रानियाँ होगई हैं उन्होंने केवल अपने बुद्धिबल और होशियारी से ही प्रतिष्ठा प्राप्त की है, और इस ही गुण के कारण उनके मन्त्रियों ने ईमानदारी से उनका काम किया। राज की डोर के सब सूत्र ये रानियाँ अपने ही हाथ में रखती थीं, समय-समय पर वे अपने बुद्धिमान् मन्त्रियों से सलाह लेतीं, इससे यही सिद्ध होता है कि राज्य के उलझे हुए झगड़ों में जिस गम्भीर विवेक-बुद्धि की आवश्यकता पड़ती है, वह उनमें अवश्य थी, और इसलिए ही वे ऐसे जवाबदारियों के काम के सर्वथा उपयुक्त थीं।
७-जो मनुष्य राज्य के अत्यन्त महत्त्व वाले और जवाबदारी के अधिकार भोगने के योग्य होता है, वही मनुष्य कम महत्त्व वाले अधिकारों के अयोग्य होता है, क्या इस बात को ज़रा देर के लिए भी मान सकते है? प्रसङ्ग के अनुसार जब-जब ज़रूरत पड़ी है तब तब राजाओं की स्त्रियों, बहनों और राजकुमारियों ने राज्यकार्य चलाने में पूरी योग्यता का परिचय दिया है; फिर दर्बारियों, कामदारों, मन्त्रियों,