अधिक कृत्रिमता स्त्रियों के स्वभाव को देने की कोशिश न की गई होती, तो उस दशा में स्त्रियों के स्वभाव और शक्तियों ने जो स्वरूप धारण किया होता, उस में और पुरुषों के स्वभाव और शक्ति में कितना सूक्ष्म अन्तर होता-इसे कोई निश्चयात्मक रूप से नहीं कह सकता। मैं आगे चल कर इसे सिद्ध
कर दूँगा कि, स्त्री-पुरुषों के जिन भेदों के विषय में बहुत ही कम मत-भेद है, वे भेद भी ऐसे हैं कि प्रकृतिसिद्ध न होकर संयोगभेद से उत्पन्न हो सके है। हमें स्त्रियों के विषय में जो कुछ प्रत्यक्ष अनुभव है, उससे यदि कोई निश्चयात्मक अनुमान बाँधा जा सकता है तो वह यही कि, उनकी बुद्धि की प्रवृत्ति साधारण तौर पर व्यवहार की ओर अधिक है। पहले की स्त्रियों के और अब की स्त्रियों के विषय में इतिहास से जो कुछ ज्ञान हमें मिलता है, उससे भी इसी अनुमान की पुष्टि होती है। यदि किसी विशेष बुद्धि वाली स्त्री का दृष्टान्त लिया जाय और उसकी मानसिक शक्ति के झुकाव को तलाश किया जाय, तो विशेष करके यह शक्ति ऐसी होगी कि जो संसार के प्रत्यक्ष व्यवहार में अधिक उपयोगी होगी और
इसलिए स्त्रियों को व्यावहारिक बातों की ओर ही अधिक प्रवृत्ति होगी। स्त्रियों की बुद्धि को जो प्राप्त-कालज्ञ अर्थात् उपजत-बुद्धि कहते हैं, वह क्या होती है? इसका अर्थ यही है कि, प्रत्यक्ष बात झटपट और स्पष्ट रीति से उनकी समझ में आ जाती है। सामान्य नियमों के साथ इसका कुछ भी
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