पृष्ठ:स्त्रियों की पराधीनता.djvu/२६१

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मत करने का अधिकार होता है, ऐसी स्थिति में लगाम कहाँ रह सकती है? दूसरी ओर जिन मनुष्यों के हृदयों में वास्तविक प्रेम के अङ्कुर होते हैं, उनके लिए यह स्थिति सद्-सद् बुद्धि, ममता, सहिष्णुता, उदारता आदि उत्तम गुणों की पुस्तक के समान हो जाती है; किन्तु जो पुरुष इस स्वभाव से उलटे स्वभाव वाले होते हैं उनके लिए यह स्थिति उन्मत्तता, तुच्छता और मिथ्याभिमान का सबक बन जाती है। अन्य मनुष्यों के साथ यानी बराबर वालों के साथ व्यवहार में वही मनुष्य अपने दुर्गुणों को दबा रखता है—क्योंकि वह यह समझता है कि ये मेरे दुर्गुण सहन करने वाले नहीं; पर वही मनुष्य अपनी स्त्री के सामने अपने मन को संयम में रखना उचित ही नहीं समझता, क्योंकि वह जानता है कि यह मेरी बात का पलट कर जवाब भी नहीं दे सकती। घर से बाहर के सब कामों में वही मनुष्य प्रत्येक व्यवहार में अपने मन को कुछ न कुछ संयम में रखता है, पर घर में आकर वह सब बुख़ार बिचारी अभागी स्त्री पर निकालता है। बाहर का क्रोध अबला स्त्री पर निकाला जाता है।

५-इस प्रकार कौटुम्बिक जीवन की दीवार जिस नींव पर खड़ी की जाती है, वह परस्पर के समझौते तथा न्याय के असंगत होने के कारण, मनुष्यों के मनों पर जो बुरा प्रभाव डालती है उसका परिणाम बहुत ही भद्दा और दूषित होता है, और मनुष्य का स्वभाव ऐसा है कि यह परिणाम होना