करने योग्य इतिहास प्राप्त हुआ है, तब से लोकमत पर स्त्रियों का विशेष असर मालूम होता है। पुरुषों के स्वभाव आदि बनने में दो बातें अधिक होती हैं, एक तो बाल्यावस्था में माता के सहवास का असर, दूसरे युवावस्था में तरुण स्त्रियों के मन में अपनी ओर से अच्छा ख़याल पैदा करने की इच्छा;-विशेष करके ये दो बातें ही सुधार के प्रवाह को आगे बढ़ाने में कारण हुई हैं। होमर के समय में भी हेक्टर के वर्णन से नायिका की इच्छा का विशेष असर मालूम होता है। स्त्रियों के सहवास से पुरुषों के नैतिक व्यवहार पर दो तरह से असर होता है। एक तो पुरुषों के कठोर और निर्दयी हृदय सदय पौर कोमल होते हैं। जिस पर सत्ताधीश के अधिक से अधिक अत्याचार होने सम्भव होते हैं, उसके मन में यही होता है कि अत्याचार मर्यादा में रहें तथा वे अत्यन्त उग्र या भयङ्कर रूप न धारण करें—और इस के लिए वह अपने से बन पड़ती यही कोशिश करता है कि उस के मनोविकार शान्त हों और एक अङ्कुश में रहें। इस ही प्रकार जो युद्ध कला के जानकार नहीं होते, उन्हें साधारण रीति से ही युद्ध से प्रेम नहीं होता, इसलिए भीतर के झगड़ों का निपटारा युद्ध को छोड़ कर और किसी प्रकार से फ़ैसले कर लेना उन्हें
ज़ियादा पसन्द होता है। और साधारण रीति से स्वार्थसाधक मनोविकारों का ज़ुल्म बेरोकटोक जिन का अधिक से अधिक नुक़सान कर सकता है, वे लोग ही मनोविकारों को
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