कितनी सहायता ली जाय; बल्कि नीचे के अनुसार है,―
कुछ स्त्रियों को तो विवाहित स्थिति प्राप्त करने की अनुकूलता
ही नहीं मिलती, और बहुतों को विवाहित स्थिति ही पसन्द
नहीं होती, तथा बहुत सी स्त्रियों को यह प्रवृत्ति पीछे से
कई अनिवार्य कारणों से नहीं रहती,―इन सब स्त्रियों में
से बहुतों को सार्वजनिक काम करने की विशेष उत्कण्ठा होती
है, और उन में इतनी योग्यता भी होती है; किन्तु समाज
उन्हें इन व्यवसायों के लिए अनधिकारी मानता है; इसलिए
अपने मन-लायक काम न पाकर उनके मन सदा उचटे रहते
है, उनकी जीवनी नीरस हो जाती है, और इस से उन्हें नैराश्य
और उदासीन रहना पड़ता है। इस विषय का हमें गमभी-
रता पूर्वक विचार करना चाहिए। मनुष्य प्राणी के लिए सब
से अधिक सुख की और महत्व की यदि कोई बात है तो वह
यही है कि, जिस काम को वह रोज़मर्रा करता हो उस पर
उसका पूरा प्रेम होना चाहिए। उसका व्यवसाय उसे रुचि-
कर होना चाहिए। सुखी जीवन के इस आवश्यक अङ्ग से
मनुष्यों का बड़ा भारी भाग सूखा रह जाता है, इसलिए जीवन
की सफलता के और साधन सुलभ होने पर भी, केवल ऊपर
वाले एक कारण से मनुष्यों का बड़ा भारी भाग अपने जीवन में
निष्फल होता है। बाहरी संयोगों को अपने अनुकूल बना
लेने का साधन अभी तक लोगों को प्राप्त नहीं हुआ, इसलिंंए
बहुत से जीवनों का व्यर्थ जाना रोकना समाज की शक्ति से
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