पृष्ठ:स्त्रियों की पराधीनता.djvu/३४

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स्त्रियों की पराधीनता।
पहला अध्याय।

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१––मै अपने छुटपन से,––उस समय से जब से कि मैं प्रत्येक सामाजिक और राजनैतिक विचार अपनी कसौटी पर पजोखने लगा, एक महत्त्वपूर्ण विषय जिस पर मैंने भली भाँति विचार कर लिया है––जिस पर मेरा निश्चय हढ़ हो चुका है, उस ही अपने निश्चय या सिद्धान्त को साफ तौर से खोल कर कहना इस निबन्ध का उद्देश है––अपने सिद्धान्त का प्रतिपादन करना हो इसका मकसद है। मेरा यह सिद्धान्त,––मेरी यह धारणा समय के लम्बे प्रवाह में पड़ कर जैसे शिथिल नहीं हुई वैसे ही किसी प्रकार का लोट-फेर भी