पृष्ठ:स्त्रियों की पराधीनता.djvu/६१

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बड़े राज्यों का स्वामी एक ही सनुष्य है, और जिन देशों से दस प्रकार की एकसत्ताक राज्यपद्धति उठाई गई है उन्हें कोई लम्बा काल नहीं बीता; इसके अलावा प्रत्येक देश के प्रत्येक श्रेणी वाले मनुष्यों में से और ख़ास करके आमीर-उमराओं में से ऐसे बहुत पाये जाते है जो अब भी एक मनुष्य के आधीन होना पसन्द करते हैं। मतलब यह है कि कोई पद्धति या प्रणाली एक बार लोगों में रूढ़ होजानी चाहिए-फिर वह लोगों के दिलों में अपने लिए बहुत कुछ जगह कर लेती है। यह पद्धति कभी सर्वव्यापिनी न हो सकी होगी, और इतिहास में इससे भिन्न प्रकार की पद्धतियाँ एक ही समय में मिलती हैं, तथा वे उदाहरण उस समय की अत्यन्त पराक्रमी और आबादी में सब से अधिक पहुंँची हुई जातियों में से ही मिलते हैं। फिर भी वह पद्धति रूढ़ हुई इसीलिए लोगों के दिलों में इतनी जगह कर सकी।

अब ज़रा इसका दिग्दर्शन कीजिए कि लोग जिसका पक्षपात करते हैं वह एकसत्ताक राज्यतन्त्र कैसा होता है। निरंकुश होकर उस सम्पूर्ण राज्य को एक आदमी भोगता है, प्रत्यक्ष रीति से उस राज्य के द्वारा केवल एक ही आदमी का फ़ायदा दीखता है,-उस आदमी को लोग राजा कहते हैं; और बाक़ी जो लाखों-करोड़ों उस राज्य में होते है वे सब उसके आधीन होते हैं, उनकी संज्ञा प्रजा है। जो मनुष्य