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पृष्ठ:हड़ताल.djvu/११५

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अङ्क २]
[दृश्य १
हड़ताल

मिसेज़ रॉबर्ट

यह बात है?

एनिड

ये लोग यह नहीं सोचते कि इन की मुँह माँगी मजूरी देकर कम्पनी कैसे चलेगी।

मिसेज़ रॉबर्ट

[बल पूर्वक]

लेकिन नफ़ा तो बहुत हो रहा है, हुजूर।

एनिड

तुम लोग सोचती हो कि हिस्सेदार लोग बड़े मालदार हैं लेकिन यह बात नहीं है। उन में से बहुतों की दशा मजूरों से अच्छी नहीं है।

[मिसेज़ रॉबर्ट मुसकुराती है]

उन्हें भलमनसी का निवाह भी तो करना पड़ता है।

मिसेज़ रॉबर्ट

हाँ हुज़ूर।

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