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पृष्ठ:हड़ताल.djvu/१४८

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अङ्क २]
[दृश्य १
हड़ताल

मिसेज़ रॉबर्ट

[क्षीण स्वर में]

मैं अभी उठ बैठूँगी मैज, जैन को चाय तो दे दो।

मैज

[जैन को एक टुकड़ा रोटी देकर]

ले, नटखट कहीं के! सीटी बन्द कर।

[आग के पास जाकर]

आग तो ठंढी हुई जाती है।

मिसेज़ रॉबर्ट

[कुछ मुसकुरा कर]

उस से होता ही क्या है!

[जैन सीटी बजाने लगता है।]

मैज

मत-मत-नहीं मानेगा-आऊँ।

[जैन सीटी बन्द कर देता है]

१३९