पृष्ठ:हड़ताल.djvu/४१

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अङ्क १]
[दृश्य १
हड़ताल


कुल्हाड़ी मारें तो यह हमारा दोष नहीं। हमारे लिये अपनी और हिस्सेदारों की चिन्ता काफ़ी है।

एडगार

[चिढ़कर]

अगर हिस्सेदारों को एक या दो बार नफ़ा न मिले तो वे मर न जायँगे। यह तो ऐसा कारण नहीं कि हम लोग अपनी हार मान लें।

स्केंटलबरी

[बहुत घबराकर]

भाई जान, तुम तो ऐसी बातें करते हो मानों मुनाफ़ा कोई चीज़ ही नहीं। मुझे नहीं मालूम कि हम कितने पानी में हैं।

वाइल्डर

इस मामले में केवल एक बात सोचने की है। हम इस हड़ताल के हाथों तबाह नहीं होना चाहते।

ऐंथ्वनी

हम कदम पीछे न हटायेंगे।

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