सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/११७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

1 , की खटाई छोड़ कर अंगारों पर पतीली रख दो। फिर कलईदार वर्तन में निकाल लो। यह तरकारी अति उत्तम बनेगी। इसी प्रकार बहुत से शाक बनाए जा सकते हैं । पत्तों के शाक बनाने की विधि कुछ भिन्न है। उसका भी हम संक्षेप से यहाँ जिक्र करेगे। पत्तों और फूलों के शाक बनाने की चाल वंगाल में बहुत है। जिस चीज का शाक बनाना हो उसे खूब साफ चीन डाले, जिसमें सड़ी-गली पत्ती न रहें, बाद को कई पानी से खूब मसल-मसल कर धो कर उसकी धूल मिट्टी साफ कर दो। इसके बाद सरसों का तेल अथवा घी कढ़ाई में छोड़ हींग दो रत्ती और दो मिचों का बघार तैयार कर पानी निचोड़ कर शाक छोड़ दो। नमक अन्दाज से छोड़ दो। खयाल रक्खो कि पत्तों के शाक गल कर वहुत थोड़े रह जाते हैं। वहुधा आलू मिला कर शाकों की भूजी भी बनाई जाती है। उसकी विधि यह है कि जिस शाक की भूजी हो, उसे अच्छी तरह छान-चीन कर बारीक कतर लो। फिर भली भाँति धो कर पानी निथार लो । वाद को बालू के कतले कर कढ़ाई में थोड़ा घी छोड़ हींग, लाल मिर्च का वघार दे कर, छोंक दो । फिर अन्दाज का नमक डाल कर ढक दो । जव गल जाय तो इतना भूनो की पानी तनिक भी न रह जाय । भरता- भरता भी तरकारियों का बहुत स्वादिष्ट बनता है । कच्चे गहर आम, पके केले, कच्चे केले, कच्चे खरबूजे, पके खरबूजे किश- मिश, छुहारे, आलू बुखारे, अंजीर, अरवी, रतालू, लौकी, कोहड़ा, तोरई; कासीफल, भिण्डी, बैंगन, परवल, टिमाटर, बथुआ, चौलाई आदि का भरता बनता है। विधि यह है कि कच्चे