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पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/१२८

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4 सफेद ६ माशा, नमक दो तो०, लाल मिर्च ६माशा, हल्दी १ तो०, बेसन को दही में सान नमक, हल्दी डाल दो और खूब फेंटो। अब सरसों का तेल कढ़ाई में डाल कर, उसे छोंक दो। इच्छित पानी प्रथम ही मिला दो। पकौड़ी डालनी हो तो, पकौड़ी भी डाल दो। रायते के लिए बूंदी, धीया, बथुश्रा, कद्दू आदि चीजें चाहिए। दही का घोल बना अन्दाज से नमक-मिर्च डाल जिसका रायता बनाना हो उबाल कर डाल दो । इसमें भुना जीरा डालना खास जरूरी है। रोटी जिस अन्न की रोटी बनाई जाय वह अति उत्तम होना चाहिये यह सबसे महत्व पूर्ण बात है। दूसरी बात यह है कि अच्छी रोटी के लिये मोटा पाटा ठीक होता है। महीन पाटे की रोटी किसी काम की नहीं होती। तीसरी बात बाटा गूंदने की है। आटा जितना ही अधिक गुंदा जायगा। रोटी उतनी ही मुलायम और मीठी होगी। यदि रोटी हाथ की बनानी हो तो श्राटा तनिक पतला रखना चाहिये। यदि वह चकला-बेलन से बनाई जाय तो कहीं मोटी कहीं पतली न हो, एक-सी हो। यदि रोटी एक-सी न होगी तो फूलेगी भी नहीं। रोटी खूब गर्म तवे पर छोड़ो और जव एक तरफ भली भाँति सिक जाय तब पल्टो, जव चित्ती पड़ जाँय तब अंगारे या चूल्हे के घऐ में रख कर फुलायो । रोटी न जलने पावे न कच्ची ही रहे। दोनों तरफ से बराबर सिके । वह जितनी मन्दाग्नि से सेकी जायगी उतनी ही स्वादिष्ट और मीठी बने । रोटी की तारीफ उसकी मुलामियत की है। यदि ठण्डे तवे पर रोटी सेकी जायगी तो वह चिम्मड़ वन जायगी । इस प्रकार चाहे भी जिस अन्न कीरोटी बना सकते हैं।