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पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/१५४

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तरह पके हों, विशेष कर फाल्गुन-चैत में । इसी ऋतु में होते हैं, ५ सेर आंवले ले तीन दिन तक पानी में भिगो दे। फिर कोटे से गोद चूने के पानी में तीन दिन तक भिगो दे। फिर साफ पानी से धो कर आध पाव मिश्री तथा ॥ सेर पानी में डाल जोश दे। फिर कपड़े पर फैला कर फरेरा कर ले। फरेरा होने पर-सेर पीछे ढाई सेर चीनी के हिसाब से चाशनी बना उसमें प्रांवले डाल पकाए, जब गल जाय तब उसमें ६ माशे काली मिर्च, १॥ मा० केशर और एक तो० इलायची पीस कर मिला दे। यह अत्यन्त गुणकारी है। कमरख- पके कमरख १ सेर, चीनी ॥ सेर, दही मीठा १ पाच, लाहौरी नमक १ पाव और कागजी नीवू एक नग। पहिले कम- रख को कांटों से गोद कर हांडी में भर ऊपर से नमक डाल और हांडी को जोर से हिला दे। जो पानी उसमें से निकले उसे निकाल कर फेंक दे। फिर १ तो० चूने के पानी में कमरख को थोडी देर हिलाता रहे। फिर उस पानी को फेंक दही के पानी में अाधा घण्टा हिलावे। तव आध पाव मिश्री उस पानी में मिला कर कमरख को हल्की उवाल दे.। और निचोड़ कर कपड़े पर फैला कर फरेरा कर ले। फिर एकतारी चाशनी चीनी की कर के उसमें कमरख को छोड़ कर पकाए । जब कमरख अच्छी तरह गल जाय तब नीबू काट कर छोड़ दे। पीछे इलायची छोटी १ तो, केशर २ माशे, गुलाब जल २ तोले, सबको एक में मिला कर ठण्डा कर अमृतवान में भर ले। जमीकन्द- जमीकन्द पुराना, जो सड़ा-गला न हो एक सेर, चीनी ३ सेर, छोटी इलायची १ तो०, गोल मिर्च पाठ माशे, केशर २ माशे, १ २ १४१