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पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/१६७

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धुले हुए कपड़ों को जहाँ तक हो खूब तेज़ धूप में सुखाओ इससे कपड़ों में चमक आजावेगी। इस प्रकार कपड़ों के उबालने की क्रिया सिर्फ सफेद रंग के कपड़ों की होती है। रंगीन कपड़ों को भट्टी पर चढ़ाना ठीक नहीं। क्योंकि कच्चे रंग के कपड़ों का रंग फैल कर और कपड़ों को भी खराब करेगा । कच्चे रंग की परीक्षा यह है कि साबुन या सोडा लगाने पर रंग छूटने लगता है। पर रंगीन कपड़ा यदि पक्का भी हो तो भी भट्टी पर नहीं चढ़ाना चाहिए । उन्हें सोडे-साबुन से ठण्डे पानी ही में धोना चाहिए । रंगीन कपड़ों को धो कर यदि अन्तिम पानी में एक चम्मच सिरका डाल दिया जाय और इस पानी में कपड़े को भली-भाँति भिगो कर निचोड़ लिया जाय तो रंग पर बहार आ जायगी । रंगीन कपड़े सदा छाया में सुखाने चाहिएँ । यदि सूती धोती में रंगीन रेशमी किनारी हो तो उसे दूसरे कपड़े में खूब कस कर बांध दो और तब भट्ठी पर चढ़ायो। फलालेन के कपड़े को धोना- फलालेन के कपड़ों को धोने में ३ बातों का ध्यान रखने की आवश्यकता है। १-वे खाली पानी में न धोये जाय । २-उवाला हुआ साबुन का पानी, जिसमें कपड़ा धोना है न बहुत गर्म हो न उण्डा । ३-जहां तक हो सके, कपड़े जल्द सुखा लिए जाय । फलालेन जव धोना हो, तब दो टवों में साबुन का उबाला पानी तैयार रखो। पानी हाथ सहने योग्य गुनगुना हो । दुसरे टव में थोड़ी नील डाल दो। पहले फलालेन को सिर्फ सावुन के पानी में खूब धो लो। फिर दूसरे टव में दुबो-डुबो कर धोओ।