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पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/१७

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माता उन्हें समझा दे कि किन किन बातों पर निगरानी रखने की आवश्यकता है। नौकर लोग प्रायः काम धन्धा करते करते वस्तु चुरा लेते हैं, उस पर उन्हे भरपूर ध्यान रखना चाहिए। स्नान करने के लिए कन्याओं को सदैव वन्द कमरा होना चाहिए । ५-६ वर्ष तक की कन्याएँ माता के साथ और इससे अधिक श्रायु की स्वयम् नहावें । स्नान करती बार इन बातों का खयाल रखना चाहिए- १-सबसे प्रथम दातों को दाँतुन, जीभी या मंजन से साफ करे, कोयला या राख भी इस काम में मदद दे सकती हैं । ब्रश या उँगली से यदि मंजन लगाया जाय या दाँतुन की जाय तो इस चात का खूब ध्यान रखना चाहिए कि मसूड़ों पर रगड़ न लगने पावे । दाँत बाहर भीतर अगल बगल सब तरफ़ से अच्छी तरह साफ़ कर लिए जायँ । इसके बाद साफ़ पानी से बारंबार कुल्ला करके मुँह और दाँत धो डाले जाएँ। २-इसके बाद आँखों को धोने की आवश्यकता है। धीरे धीरे पानी की छपकी देकर आँखों का सब मैल और चिपचिपा- हट दूर कर देनी चाहिए। फिर धीरे धीरे भलकर पलकों का मैल दूर कर देना चाहिए । इसके बाद मुँह, कान, गर्दन, गाल सव भाग भली भांति रगड़ कर साफ कर लेने चाहिए । प्राय लड़- कियाँ कानों को साफ नहीं करती और कानों में मैल गई, धूल आदि भरी रहती है । इसलिए कानों को स्नान के समय अच्छी तरह साफ करना चाहिए। ३-सिर धोना लड़कियों के लिये बहुत जरूरी है। केश स्त्रियों का श्रृंगार तो है, पर केशों की रक्षा करना बड़ा कठिन है। इस सम्बन्ध में हमारी योजना इस प्रकार है- -