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पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/३९

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पिर दाँतों और जीभ को साफ करो, मंजन लगाकर नीम की या ववूल की दोतुन से इस तरह साफ करो कि मैल बिल- कुल न रहे। जो लोग दाँत साफ़ नहीं करते उनके दाँत मैले और गन्दे रहते हैं और मुँह में से दुर्गन्ध आया करती है। उनके दाँतों की जड़ों में एक तरह के कीड़े पैदा हो जाते हैं जो दाँतों में दर्द और पीप पैदा कर देते हैं। फिर दाँत खराब होकर जवानी ही जाते हैं या उखड़वाने पड़ते हैं। हाथ मुँह धोकर पैर भी अच्छी तरह धो लेने चाहिये। में टूट व्यायाम शौचादि से निपट कर थोड़ा व्यायाम भी करना चाहिये। इस से रग पढे मज़बूत होते हैं, शरीर सुडौल और चुस्त होता है, भूख खूब लगती है, खाना आराम से हज़म होता है और खून साफ़ होता है। परन्तु हद से ज्यादा व्यायाम नहीं करना चाहिए । जब शरीर थकासा दिखाई दे तो फ़ौरन वन्द कर दो। व्यायाम चाहे जैसा हो--दौड़ धूप, खेल कूद, डंबल, दंड, मोगरी, लाठी घुमाना श्रादि । घर के कामों में चक्की पीसना, पानी खींचना, धान कूटना, दूध विलोना, अच्छे व्यायाम है। तैरना भी एक अच्छा व्यायाम है, इससे क़द लम्बा होता है। छाती और हाथ पैर मज़बूत होते हैं। परन्तु यह व्यायाम गर्मी के दिनों में करना चाहिए। भोजन करने के दो घण्टे पीछे तक व्यायाम नहीं करना चाहिए।