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पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/६४

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छः प्रकार के शाक होते हैं । इन में पहले की अपेक्षा दूसरा भारी है। सर्व प्रकार के शाक आम तौर से मल को निकालने वाले भारी, रूखे, मल को अधिक बनाने वाले और वायु को निकालने वाले होते हैं. अति मात्रा में यदि.शाक खाये जायेंगे तो वे हड्डियों को तथा नेत्रों को कमजोर करेंगे, वर्ण, वीर्य, तथा बुद्धि को क्षीण करेंगे बालों को सफेद करेंगे, स्मरण शक्ति का नाश करेंगे। खास कर बर्सात में शाकों में अधिक दोष होजाता है इसलिये वसति में हरे शाक कम खाने चाहिये। जैसा कि ऊपर कहा गया है कि तमाम शाक नेत्रों को हानि- कर हैं-परन्तु पोई, बथुवा, चौलाई ये शाक नेत्रों को हित कारी हैं। बथुए के गुण- बथुवा दो प्रकार का होता है। दोनों प्रकार का बथुवा मधुर, पाक में चरपरा, अग्नि को तेज करने वाला, पाचक, रुचिकारक, हल्का और देस्तावर है। तिल्ली, रक्तपित्त, बवासीर, पेट के कीड़े, इनको नष्ट करता है। नेत्र रोग में फायदेमन्द है, कफ की बीमारी वालों को सदा खाना चहिये । लाल बथुवा इससे भी उत्तम है। पोई के गुण- ठण्डा, चिकना, कफ कारक, वान तथा पित्त को नष्ट करने वाला, स्वर को बिगाड़ने वाला, ल्हसदार, आलस्य और नींद लाने वाला, घात और मचि बढ़ाने वाला, वीर्यवर्धक तथा पथ्य है। लाल पोई, छोटी पोई, वही पोई और मूल पोई के गुण भी इसीके-समान हैं। 1 . $ ५४