- छुहारे- गर्म, काबिज़, शीतल और अत्यन्त पुष्टिकर हैं । चिलगोजे- गर्म और अत्यन्त कामशक्ति वधेक हैं। मखाने- पुष्टीकारी और शीतल हैं। खिरनी-- ठण्डी, अम्लपाकी,मलरोधक, वीर्यवर्धक, मांसवर्धक, त्रिदोष, मद, मूर्खा, दाह और रक्तपित्त को दूर करने वाली है। फालसा- क़ाबिज़, ठण्डा, हृदय को प्रिय, पित्त, दाह और रक्तविकार, ज्वर, क्षय तथा वायु को नष्ट करता है। शहतूत- भारी, स्वादिष्ट, शीतल, वातपित्त नाशक है। कचा शहतूत-- खट्टा, भारी, दस्तावर, गर्म और रक्त पित्तको करने वाला है। प्रायः सभी शाकों में काष्ठौज होता है इसलिये शाकों को पकाकर खाना ही उत्तम है। वथुप्रा. मेथी, सोया इत्यादि हरे शाकों में कई प्रकार के उड़ने वाले तैल होते हैं । इसी कारण इन शकों में अधिक गन्ध होती है। यद्यपि शाकों में पौष्टिक पदार्थ बहुत कम होते हैं तथापि शाक भोजन में अवश्य होने चाहि। क्योंकि इनमें कई प्रकार के लवण होते हैं जो तन्दुरुस्ती के लिए
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