पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/१६७

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चेतनता का अभिव्यजन है जडता हो के उपकरणो मे, निश्चय ही जीवन लिपटा है भोतिकता के आवरणो में, पर केवल भौतिकता में ही आवद्ध नहीं है जीव-भाव भौतिक पदाथ से भिन्न रूप वहता है चेतन सुरस-साव, जडता विकास गुण शून्य, किन्तु - जीवन मे बदन-शक्ति भरी, जीवन में रस-परिपाक-शक्ति आत्मोत्पादन-अनुरक्ति भरी। 7 जड में विकास के भाव कहा ? उत्पादन को क्षमता न बहा, जठराग्निक्षिप्त आहारो की वह सदृशीकृत पक्वता कहा चेतन की ये विशेषताएँ जडता में कव उद्भूत हुई ? तब क्यो कहते हो जस्ता से यह चिर-चेतना प्रसूत हुई चेतन आया इस जट-जग में जडता को धय बनाने को, अपनी अनगता स्थागी है उसने अगी महलाने को। 7 १४२ हम विषपावी जनमक