पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/३८९

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फिर से फिर से क्या आफत आयी। दिल कहा गया वह अपना ? है अजब हाल इस मन का देखे हैं दिन मे सपना । कैपना हिय ने सौखा था आवें सीसी थी झपना, पर रसना ने सौम्या है- अब किसी नाम का जपना। अलमस्त सदा के व्हरे मल्ह्ड नवीन ये फिर आज बह चले इनके- हिय के सुकुमार फफोले । ये गये सहज ही कासी गल-कासी ले आये ये, कासी-करवत के वेदले हिय - गासी ले आये थे। विनम सम्भ्रम की अपनी- भूली - सी अकथ कहानी,- इनने मूरखता करके फिर से कहने की ठानी। हम विपपाथी सनम के