पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१३७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

[ १०४ ] भँवरगीत-मुकददास (जनमुकंद) द्वारा संग दास कृत; नि० का० सं० १७६६, वि० नामा- हीत; वि० कृष्ण लीला वर्णन । दे० (ग-१०४दो) दास कृत भक्तमाल पर टीका | दे० (स-५५) (छ-२७३) (ज-८४) (ग-१२६) (ङ-१३२-१३७) भक्त नामावली--ध्रुवदास कृत, वि० ११६ भक्तों भक्त रस माल-बजजीवनदास कृत, नि०को० के नाम तथा उनका वर्णन । दे० (क-१५) सं० १६१४, लि० का० सं० १६१४, विषय (अ-७३ जी) नाभा जी कृत भक्तमाल पर टीका। दे० भक्त बछल-मलूकदास कृत; लि. का० सं० (ज-३४५) १८५५, वि० भक्तों का माहात्म्य वर्णन । दे० भक्त वत्सल-मलूकदास कृत: लि० का० सं० (ज-१८५५) १८७६, वि. श्रीकृष्ण जी की भक्त-वत्सलता भक्त भावन ग्रंथ-ग्याल कवि कृत; नि० का० का वर्णन तथा उदाहरण । दे० (ङ-८०) सं० १६१६, लि० का० सं०५४, वि० यमुना (ज-१८५ ए) महिमा और स्फुट कविता । दे० (च-१४) भक्त विरुदावली-अम्मरदास कृत, वि० ईश्वर- भक्त मंजरी-दीनानाथ कृत; वि० मागवत, रामा- भक्ति का वर्णन । दे० (छ-१२३) यण और परमेश्वर के अवतारों का वर्णन । दे०(ज-७५) भक्त विरुदावली-मलूकदास कृत, नि० भक्तों की प्रशंसा । दे० (छ-१६४५) भक्तपाल-नारायणदास (नाभादास) कृत, लि० १७७०, वि० भक्तों का वर्णन । दे० भक्त विरुदावली-लघुराम कृत, वि० भक्तों की प्रशंसा । दे० (छ-२८७ वी) (ज-२११) भक्तमाल प्रसंग-वैष्णव दास कृन, लि. का० भक्तामर भाषा-(र० अज्ञात) लि. का० सं० सं०१८२६, वि० भकमाल पर टीका। दे० १७८८, वि० ईश्वर बंदना । दे० (क-२०८) (ख-५४) भक्ति का अंग-कबीरदास कृत; वि० भक्ति भक्तमाल माहात्म्य-वैष्णवदास कृत, लि. और उसका प्रभाव वर्णन। दे० (ज-१४३ के) का० सं० १८८६, वि० भक्तमाल का माहात्म्य | भक्ति जयमाल—शिवरामकृत; नि० का० सं०० वर्णन । दे०(छ-२४७) १७८७, लि० का० सं० १८०३, वि० रामचन्द्र भक्तमाल रस-बोधिनी टीका-वैष्णवदास और का वर्णन । दे०(ज-२६६) अग्रनारायणदास कृत, नि० का० सं० १८४४, ] भक्ति पदारथ-चरणदास कृन, वि० भक्ति वि. प्रियादास के भतभाल की टीका पर और प्रेम का वर्णन । दे०(छ-२४७ डी) अग्रनारायण और वैष्णवदास ने व्याख्या वा भक्ति-प्रकाश-राजा लक्ष्मणसिंह कृत; नि० का० टिप्पणी की है। दे० (ड-८८) स० १६०२, लि. का० सं० १६०३१: दे० पक्तमाल रस-बोधिनी टीका सहित-प्रिया- (छ-६५ सी)