पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/३८

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भनन्प-प० मकर मनाय। सेबहुरा राज्य मनस्दसिंह-रणजीतसिंह के पिता-०२) बतिया मियासी काम पर पृथ्वीराम मनपरला रहतगढ़ राय भूपाल के पठान (रसिया) के गुरु, स. १० में उत्पन्न दुप, मुस्तान मावाब मुहम्मद पाक कनिष्ठ भ्राता करिता भास. १७५८ मौर रामकरन कधि केमाभपवावा । सिा .(-)। (स-३१) (-२५०) (49) मनपरचंद्रिका-मकरम कषि एस, मिका रामदोग दे० (-२) (क-२वी) सं०1७४, लिप का०स०१५पिकनिहारी पनुमा तरंग दे० (-२) सवसई पर कुहलिया में टीका, कपि मे पा भारोप दे० (-२) टीका अपमे माश्रयदाता अमरजों माम सामसपासा दे० (-२) पर की। २०(--३१) (८-१०) (प्रय परिका (छ-२ एफ) कामाम ममूलक कि पचीसी २०१२जी) भनाषदास-उप० जनमनापास०१७२६ केला गत्तमपरिषदे० (१२५) मग पर्वमान, मोमीवाया के शिष्य थे। मचीतोत्र ऐ० (रमाई) रागालावनी दे० (-१२४५) साम्य रंग दे० (-२) विचारमा दे०(९-१२४ी) पोगनाच दे० (-२) (९-२६५) (1-5) भाप काय दे० (--) मनुमय मान्द सिंधु-सदारामान लि0 का० विसका दे० (ज-बी) स०१३, वि०ससार-स्पति, सिटि और देसमा ० (ज-सी) प्रलय मेव । २० (--२७२ सी) मबार दे० -0) अनुपम-वरंग-मर ममम्मत, लि० का०स० मनन्यरसिकामरन-मगवत रमिक समि० १६२, पि•भारमशान ।६० (-२५) रापारमित्य विहार परान दे० (-1 मनुमत्र पर प्रदर्शनी टीका-महाराज पिश्यनाए सिंपरा नि० कालिका- भनन्यसमा-भैरससार-गतामी गुलाबजाम कता विरापावामी सम्प्रदाय द रसिक स० १४० वि०कपीराप्त की १२ पुस्तकों मावि मगल, बीजक, रमैनी, सम्प, कारण, मनम्पका का पिपरा ० (-100) बसत चौमासी, पिप्रबत्तीसी, लिचरि, मनसिा-मजबसिंद के पुत्र बीयरी भागरा दिसलसिली और साथी पर टीकाएँ। २० निबासी, आति कोइरालमिभक भाभय (घ-२२) परवा थे।२० (--)। भनुमर पकाश-महारा असपतसिंह का मनस्वतिर (राना)-अधराय Cap. पिर माया मिया (२)