पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/९७

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[४ ] दलेलसिंह--चंद्रनगर के राजा, स० १८४६ के गणित संबंधी सिद्धांत लीलावती के माधार लगमग वर्तमान; थानराम के श्राश्रयदाता थे। पर । दे० (छ-१०१) दे० (ज-३१७) दस्तूर माल का-फतेहसिंह कन; लि० का० सं० दशमस्कंच टीका-सूरदास कृत; वि०मागवत के १६०७, रियासतों के हिसाब किताब और दशमस्कंध का पद्यात्मक अनुवाद । दे० दफ्तर की रीति । दे० (च-५४) (छ-२४४ डी) दस्तूर माल का-फमनाजन कृत; नि० का० सं० दशम स्कंध भागवन-नंददास कृत. लि. का० १८४७, लि० सं० १८४. दूसरी प्रति का लि. सं० २८३३, वि० भागवत का भाषानुवाद । का० सं० १६१२, वि० गणित । दे० (-५६).--. दे० (न-११) दस्तूर माल का-सीधर मृत, नि० का• स० दशमस्कंच भाषा-नरहरदास बारहट कृत, २७६५; लि. का० स० ७६, वि० हिसाब वि० कृष्णावतार की कथा । दे० (ग-४८) आदि की रीनि वर्णन ! दे० (ज-2) दशरथ-इनके विषय में कुछ भी ज्ञात नहीं। दस्तूर सागर-परमेश्वरीदास कृत; नि० का० पिंगल दे० (छ-१५३) सं० ९८७६, वि० लीलावती के ग्रथ का अनु. दशरथ-इनके विषय में कुछ भी ज्ञात नहीं । वाद । दे० (च-४५) वृत्तविचार दे० (ज-५७) दादू-इनका पूरा नाम दादूदयाल; दादूपंथी दशरथराम-प्रसनी (फतेहपुर ) निवासी; ये संप्रदाय के सस्थापक, ये १७वीं शताब्दी नरहर महापात्र मार के घंशज थे, स. १७६२ पूर्वार्ध में हुए है; जनगोपाल, जगजीवनदास, के लगभग वर्तमान । और सुंदरदास के गुरु थे। दे० (क-२८) नवीनाख्य दे० (ज-%) (-१७५) (छ-२४२) (ग-६३) दशावतार-पर्वतदास कृत. नि० का० सं० १७२१, दाद जो की पाणी दे० (ख-३७) लि. का० सं० १७६Eवि० ईश्वर के दस अव. अध्यात्म दादू जी को दे० (ग-११८) तारों का वर्णन । दे० (छ-७५) दादू जी का पद दे० (ग-१४०) (ग-१४१) दशावतार-जसवंत कृत, लि० का० सं० १४०; समरथी को अंग दे० (ग-२७१) वि० ईश्वर के दस अवतारों का वर्णन । दे० दादयान को कोरत दे० (ग-२६३) (छ-२७४ धी) दाद जी की वाणी-दादूदयाल जी (दादा दस्त्र-अमल-सुखलाल कृत; नि० का० सं० १६०८, कृत, लि० का० स० १८२६, वि. दादू जी के वि० शासकों की नीति । दे० (छ-२१३ ५) वेदांत का संग्रह । दे० (ख-३७) -धीरजसिंह कृत; वि०मापविद्या दान-चौंतीसी- --माखन लखेरा कृत, लि० का० का वर्णन । दे० (छ-३० धी) सं० १६५२, वि० कृष्ण दान लीला का वर्णन । नम्नूर माल का-रामसिंह कृत; वि० गणित दे० (छ-६८) दस्तूर चिंता