पृष्ठ:हिंदी कोविद रत्नमाला भाग 1.djvu/१००

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परलोक यास हो गया था। परंतु इनके बड़े भाई पंडित मदनमो पर इन्होंने महाजनी और हिंदी पढ़ी और फिर उई और घर की परीक्षा पास को और फिर एफ० ए० में भी अभ्यास शि. परंतु परीक्षा में उत्तीर्ण न हो सके इसलिये इन्होंने फिर पढ़ना। (1८) पंडित केशवराम मट्टा विशवरान मा महागय प्रायर थे) पंज पन दिनों सेविहार में रहने लगे थे। ना मासा'पाठ' या परंतु पर दर मायम मात्र को लोग ना कहते हैं उनकी कुल परनरा उपाधि हो गई। उक पक पनपान् पार प्रतिष्ठित पुरुष थे, वे महाजनी प्र करते थे। पंडित केशवराम का जन्म प्राचिन कर पंचनी संवत् १९! हुमा था। इनके जन्म होने के महीने पहिले हो इनके पिता भा होशियार थे। उन्होंने घर का काम काज संभाला और इन शिक्षा का प्रबंध किया। इनकी माता स्वयं शिक्षिता और बुदिन थों प्रतपय प्रारंभ में उन्होंने इनको उचित शिक्षा दी। कुछ बड़े। में अच्छी योग्यता प्राप्त करने के पश्चात् इन्होंने अंगरेज़ी पर प्रारंभ किया। सन् १८७२ ई० में इन्होंने विहार के स्कूल छोड़ दिया। पंडित केशवराम जी ने सन् १८७४ में "विहारबंधु" प्रेस खोल और उसीके साथ समाचार पत्र को प्रारंभ किया। केप