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वेदांत सूत्रों (वादरायण) पर टिप्पणी, हंसदूत, वानीयार्ड विलाप। इनमें से कुछ ग्रंथ अमुद्रित और कुछ अपूर्ण है। टाकुर साहिब की संस्कृत और भाषा योग्यता बहुत बढ़ी चढ़ी थी। जिन्होंने इनका श्यामास्वन या मेघदूत पढ़ा होगा उन्हें इसका परिचय मिल गया होगा। इनका स्नेह अनेक अच्छे अच्छे राजा महा- गजों से था। इनका स्वभाव उदार, गुणनाही और मिलनसार था।